STORYMIRROR

Mayank Kumar

Abstract

3  

Mayank Kumar

Abstract

बालक

बालक

1 min
329

आज ही मिली तृप्ति मुझे

पहले कहां इसका कायल था

आज ही उठी उफान ह्रदय में

पहले इसे उठाने वाला कौन था !


आज ही जीवन को जीना सीखा

पहले मुझे जीने का कहां ढंग था

आज ही तो मुलाकात हुई प्रभु तुमसे

पहले मुलाकात कराने वाला कौन था !


आज ही समझा व्यथा को

पहले अवगत कराने वाला कौन था

आज दुनिया बदला उस बालक ने

पहले दुनिया देखने का कहां दम था !


अब हर एक सांस में प्रभु पाता आपको

पहले मुझे एहसास कराने वाला कौन था !


इसीलिए प्रभु कहता हूँ

था वह बालक तेरा प्रतिबिंब

जो सिखा गया मुझे ढंग

बस आ गया स्वच्छ मन !


अपने रंग बिरंगे भावनाओं से

देखता अब तुम्हें उम्मीद से

उसने ही कायापलट की मेरी

रंग भर गया जीवन में मेरी


इसलिए कहता हूं -

आज ही मिली तृप्ति मुझे

पहले कहां इसका कायल था !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract