बाल श्रम एक अभिशाप है ।
बाल श्रम एक अभिशाप है ।
बाल श्रम एक है अभिशाप ,
सभ्य समाज के लिए एक है चुनौती,
बाल श्रम में 18 वर्ष से पूर्व
बच्चों द्वारा किया गया श्रम
एक है दंडनीय अपराध,
भारतीय संविधान में बाल श्रम
रोकने को किय गए हैं प्रावधान,
भारतीय संविधान ने 14 वर्ष तक की
उम्र तक के बच्चों के लिए किए है
निशुल्क शिक्षा के प्रावधान,
शिक्षा के साथ ही साथ मिड डे मील
के भी किए गए है प्रावधान,
बाल श्रम बना है एक अपराध,
इसमें किए गए है कड़े कानूनी प्रावधान,
बाल श्रम न केवल भारत अपितु
विश्व भर में बना है एक समस्या,
यूनाइटेड नेशन्स ने भी इसे
रोकने के लिए किए है कड़े प्रावधान,
हमारी शिक्षा की प्रतिशत दर बढ़ी,
सभ्यता आगे बढ़ी लेकिन
हम बालश्रम को नहीं रोक है पाए,
बाल श्रम एक कलंक है
सभ्य समाज के लिए,
यह एक अपराध है सभ्य समाज के लिए,
इसे हमे रोकना होगा,
इसे प्रतिबंधित करना होगा,
खेलने व पढ़ने की उम्र में
बाल श्रम को पूर्ण रूप से रोकना होगा,
बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजना होगा,
ऐसे बच्चों के लिए विशेष स्कूल बनाने होंगे,
जरूरत हो तो इनके लिए हॉस्टल भी
बनाने होंगे,
बाल भिक्षा को भी रोकना होगा,
इसे भी प्रतिबंधित करना होगा,
बाल श्रम कानून को और कड़ा कानून
बनाना होगा, इसमें कड़े प्रावधान करने होंगे,
बच्चों को स्कूल न भेजने वाले अभिभावकों
के लिए भी कड़े प्रावधान करने होंगे,
बच्चों से श्रम कराने वालों के लिए भी
कड़े प्रावधान करने होंगे,
अब हमने ठाना है, बाल श्रम को रोकना होगा,
इस कलंक को मिटाना होगा,
बाल श्रम एक है अभिशाप,
सभ्य समाज के लिए एक है चुनौती,