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Jaypoorna Vishwakarma

Abstract

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Jaypoorna Vishwakarma

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बाल मनोविज्ञान

बाल मनोविज्ञान

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उत्साह से भरा होता है नन्हापन 

करता कई शरारत सबका बचपन 

नित्य उठते मन में विचार नये 

मन मस्तिष्क में करते संचार नये 

नटखट नादानी खेल रहा जीवन 

बड़ा निर्मल होता बच्चों का मन 

किसी चीज में भेद न करना जाने

सबको प्रेम भाव से अपना माने  

स्वभाव से सहज, सरल, भरे जिज्ञासा 

ऊंची उड़ान की रहती उनको आशा 

कल्पनाओं के पंख लगाकर अपने

करते दुनिया की सैर और देखे सपने

शिशुवस्था से ले युवावस्था तक का मन

सीखता रहता उनका जीवन हर क्षण 

कदम-कदम पर भ्रष्टाचार, अन्याय

प्रतिस्पर्धा, अनैतिकता से जीवन भर आए 

सही राह दिखाकर करें उन्हें प्रोत्साहित 

उनका कोमल मन न हो हतोत्साहित

प्रौद्योगिकी के इस अनोखी दुनिया में 

दिख रहा अनोखापन उनके जीवन में 

कभी करते ये उनके जीवन में विकास 

तो कभी करते ये उनका परिहास 

हो उनके मन मस्तिक में अद्भुत ज्ञान 

ऐसा हो बालकों का मनोविज्ञान ।



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