बाहर की दुनिया
बाहर की दुनिया
ख्वाबों ख्यालों से बाहर की दुनिया,
घर की दीवारों से बाहर की दुनिया।
तीर तलवार खंजर कटारों के आगे,
ये है एटम बमों से बाहर की दुनिया।
इसमें चाँद अब सिर्फ छत पर नहीं है,
किताबों के किस्सों से बाहर की दुनिया।
आज कश्तियां हैं बस भंवर के सहारे,
तुम्हारे हमारे इरादों से बाहर की दुनिया।
कभी ये बिलखती कहीं पर चटकती,
बच्चों सी है बच्चों से बाहर की दुनिया।
