बाहर आकर तो देख
बाहर आकर तो देख
बाहर आकर तो देख
आंगन में बैठी चिड़िया तुम्हें भी बुलाती होगी
अपने ही गीतों में तुम्हारा भी नाम गुनगुनाती होगी।
खुले आसमान की ओर तो देख
ख्वाबों की दुनिया
तुम्हें भी उड़ना सिखाती होगी।
आंगन में खिलती कली की ओर तो देख
जिन्दगी जीने की चाहत
तुम्हें भी हंसना सिखाती होगी।
