जीवन प्रकृति
जीवन प्रकृति
प्रकृति की धानी चुनर को
ओढ़ धरा यूं खिली हुई है
सूरज की किरणों के संग में
लालिमा ज्यों मिली हुई है ।
इस रंगत में रचा बसा है
प्रकृति का प्रेम भरा पल
जीवन को यूं जीते जाओ तुम
ज्यों झरना बहता है कलकल ।
पंछी की कलरव को सुनो तुम
मीठे से गीत सुनाते हैं
नदियों की धारा में बहो तुम
जीवन संगीत बनाते हैं ।
ये पर्वतों की ऊंची चोटियां
जीवन लक्ष्य निर्माण करें
सागर के तल में जाओ तुम
ये रत्नों से गोद भरें ।
पेड़ों की छाया को देखो
सुख के दिन आभास कराए
सूरज की गर्मी भी देखो
दुख के दिन कटते ही जाए ।
चन्द्र- कलाएं ये बतलाती
वैभव घटता बढ़ता है
चींटी की मेहनत से सीखो
परिश्रम ही आगे बढ़ता है ।
धरती की ये गहरी घाटियां
दिल के राज बताती है
एक बार आवाज दो तुम
ये पुनरावृत्ति दोहराती हैं ।
मानव जीवन का पूरा सांचा
प्रकृति के हर रंग में बसा है
प्रकृति से सीख चलो तुम
फिर जीवन का अपना ही मजा है ।
