बागी
बागी
दुआओं को जो आसमान से हैं बरसाना
तो उम्मीदों को कभी चोटिल मत होने देना
प्रेम है परमात्मा का जो अनुराग से हैं मिलता
पर जख्मी दिल को कभी बागी मत होने देना
मौन की बानगी आनंद में थिरकने से है मिलती
किंतु चित्त को कभी उदास मत होने देना
दीवारों ने सुन ली सारी तल्खियाँ जिगर की
लेकिन आँसुओं को आँखों में घर मत करने देना
जश्न बन न सको किसी की जिंदगी का ,कोई बात नहीं
पर किसी की हयात का अँधेरा खुद को, मत बनने देना
बिखरी पड़ी है जन्नत हर शै पर 'नालन्दा'
इसे गलती से भी जहन्नुम मत बनने देना
