अज़नबी
अज़नबी
चलो फिर से अजनबी हो जाए
तुम चुपके से हमें देखो
हम तुम्हें देख शरमा जाए
चलो फिर से…
वही अनजान सी बातें
वही बेवक्त मुलाकातें
बस बदले नहीं कुछ भी
वही दिन हों वही रातें
हम कह दें सूरत चाँद सी तेरी
तुम कह दो झूठे गालिब हो
हर लफ़्ज़ करे बयाँ तुमको
और तेरी परछाई बन जाए
चलो फिर से…
फिर से तुम नग़मे बयां करो
फिर से हम शहजादे बन जाए
तुम कह दो गले लगाने की
और हम अंजान मुकर जाए
चलो फिर से अजनबी बन जाए

