बस बदले नहीं कुछ भी वही दिन हों वही रातें बस बदले नहीं कुछ भी वही दिन हों वही रातें
मैं, सोचता रहा रास्ते भर यूँ ही कोई क्यों संग चलेगा, मैं, सोचता रहा रास्ते भर यूँ ही कोई क्यों संग चलेगा,