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Manjeet Dahiya

Tragedy Inspirational Others

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Manjeet Dahiya

Tragedy Inspirational Others

औरत

औरत

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सबका साथ निभाती है औरत,

खुद कितना जी पाती है औरत।


प्रश्न खड़े होते हैं अस्मत पर,

जब जब आँख दिखाती है औरत।


औरत को कम कहते हो, तुमको,

ख़ाक समझ में आती है औरत।


छिपते  फिरते हैं सारे लश्कर,

जब तलवार  उठाती है औरत।


अपनी पर आने लग जाए तो,

यम से भी लड़ जाती है औरत।


सबके अरमानों ख़ातिर अपने,

सब अरमान जलाती है औरत।


तेरे जीवन में आकर तुझको,

जीना भी सिखलाती है औरत।


जो सीना चौड़ा है वालिद बन,

उसको  बाप बनाती है औरत।


एक घटाकर एक के अंदर से,

देखो एक  बचाती है औरत।



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