औरत शक्ति स्वरूप
औरत शक्ति स्वरूप
सच ही बोलते हैं लोग
औरत की अक्ल घुटनों में होती है।
तभी तो वह सब कुछ संभाल लेती है,
घर के चूल्हे चौके से ऑफिस तक का वर्क
एक पत्नी से एक मां तक का फर्ज।
जाने कैसे वह ऑफिस से
थकी आकर भी घर का सारा काम कर जाती हैं,
सच ही बोलते हैं लोग
औरत की अक्ल घुटनों में होती है।
सह जाती है मर्द की ऊंची आवाज,
कुछ भी ना कहती है,
सो दुखों को सहकर भी सब को खुशी देती है,
सब की देखरेख में अपनी फिक्र ना रहती हैं,
सच ही कहते हैं लोग
औरत की अक्ल घुटनों में होती हैं।
पति की थोड़ी सी कमाई में भी व
ह पूरा घर चला लेती हैं,
पाई पाई जोड़ के घर बना लेती है,
चलती है कंधे से कंधा मिलाकर
हर वक्त पति का साथ देती है,
कभी जो टूट कर बिखरने लगती है
तब खुद को खुद ही संभाल लेती हैं
सच ही बोलते हैं लोग
औरत की अक्ल घुटनों में होती है।
हर क्षेत्र में औरत आगे आती हैं,
कभी वह झांसी की रानी,
कभी कल्पना चावला कहलाती हैं,
उसके बिना संसार में अंधेरा
फिर भी घर का चिराग ना बन पाती हैं,
सच ही कहते हैं लोग
औरत की अक्ल घुटनों में होती हैं।
होती बुद्धि खुद के लिए जीती,
वह भी अपनी मर्जी की मालिक होती,
ऑफिस से आते वक्त उसे भी थकान होती,
पर हर वक्त वही समझौता करती है
क्योंकि औरत की अक्ल घुटनों में होती हैं।