औरत का नाज़
औरत का नाज़


मत कर शर्म इस मासिक धर्म पर
ये हर औरत का नाज़ है
जो समझता इसे अपवित्र
वो मानसिकता का शिकार है
तू जीत है , तू रीत , तू कर्म है
तू धर्म है ,
मत ड़र इस कुदरत से क्योंकि यही तो तेरा
धर्म से जुड़ा मासिक "धर्म" है ।
मत कर शर्म इस मासिक धर्म पर
ये हर औरत का नाज़ है
जो समझता इसे अपवित्र
वो मानसिकता का शिकार है
तू जीत है , तू रीत , तू कर्म है
तू धर्म है ,
मत ड़र इस कुदरत से क्योंकि यही तो तेरा
धर्म से जुड़ा मासिक "धर्म" है ।