अतीत से वर्तमान
अतीत से वर्तमान
कभी कभी जब मन नहीं लगता
अपनी ही प्रोफाइल खोल कर देखने बैठ जाती हूं। I
याद करती हूं उन पलों को
जब अपलोड करने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं होता था
फिर भी मैं कुछ अच्छे विचार जरूर साझा करती थी
उन्हीं पलों को सहेजते, समेटते जाने कैसे वर्तमान आ गया
और हर किसी से जुड़ाव होते चला गया
अब वर्तमान हमेशा अच्छा लगने लगा था।
कलम ने भी कुछ कहना शुरू किया था।
अब हर बात में जीने लगी थी।
अपनी दुनिया में रचने बसने लगी थी।
सौभाग्य ने साथ दिया था इसलिए मैं महकने लगी थी।
हर पहलू को जीवंत करने लगी हूं।
अपनी ही दुनिया में जीने लगी हूं।
