अस्वीकृत कविता
अस्वीकृत कविता
मैं बहुत निराश हो जाता था
जब मिलती थी सूचना
‘अस्वीकृत कविता’ की...
अपने सीमित खर्चों से बचाता था
थोड़े-थोड़े पैसे
ताकि डाकखर्च में दिक्कत न हो।
डाक टिकट लगा लिफाफा भेजता था
अपनी कविता के साथ
ताकि संपादक महोदय दे सकें सूचना
प्रकाशित /अप्रकाशित होने की...
उनका दो पंक्ति का पत्र
मुझे घोर निराशा के सागर में धकेल देता था
संपादक जी की विवशता पर मुझे आश्चर्य होता था
उटपटांग खबरें/ अर्द्ध नग्न अभिनेत्रियों के चित्र/
कामुकता से भरी कहानियां/
बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित होते थे
पर मेरी कविता नहीं...
एक दिन मैंने संपादक के नाम पत्र लिखा
और उनकी विवशता के लिए उनका आभार व्यक्त किया
फिर उसके बाद कभी उन्हें कविता नहीं भेजी
क्योंकि उनकी पत्रिका कविता
प्रकाशित करने के लिए नहीं छपती थी।
