हम डाक कबूतर हैं मेरे दोस्त गले में तावीज़ पहने घूम रहे हैं, हम डाक कबूतर हैं मेरे दोस्त गले में तावीज़ पहने घूम रहे हैं,
देखते बनती थी, चमक अक्षरों की देखते बनती थी, चमक अक्षरों की
क्योंकि उनकी पत्रिका कविता प्रकाशित करने के लिए नहीं छपती थी। क्योंकि उनकी पत्रिका कविता प्रकाशित करने के लिए नहीं छपती थी।