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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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अश्रुशब्द

अश्रुशब्द

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मैं कवि या

कलमकार नहीं हूँ,

आम इंसान हूँ।

सुरों,विधाओं से 

न वास्ता है मेरा,

मन की उद्दिग्नता को

बस शब्द देता हूँ।

गीत, गजल, छंद, कविता

तो आपको पता होगा,

मैं तो बस हर समय

हिंदुस्तान लिखता हूँ ।

सोचा कि आज मैं भी 

शहीदों पर कुछ लिख ही डालूं,

पर बेबसी देखिए कि

नेताओं के बेशर्म बयान लिखता हूँ ।

आजादी के मतवाले

फाँसी के फंदों पर

झूले थे, जानता हूँ मगर

उनकी गाथा भूल

भ्रष्ट नेताओं के

गुणगान लिखता हूँ ।

शहीदों की गाथा 

लिखने बैठा था मगर,

जाति,धर्म, मजहब में बँटते

देश का समाचार लिखता हूँ।

आजादी के मतवालों पर

मैं लिखूं भी तो क्या लिखूं?

राजनीतिक चश्मे लगाकार

होती जो राजनीति यहां, 

मैं तो बस उन नेताओं के

यशोगान लिखता हूँ।

भगवान सरीखे अमर शहीदों,

मुझे माफ कर देना,

तुम्हारे नाम पर भी जो

भेदभाव करते हैं,

मैं तो दिनरात उन्हीं के

तकिया कलाम लिखता हूँ ।

ऐसा भी नहीं है कि

शहीद मुझे याद नहीं हैं,

तभी तो शहीद दिवसों पर

औपचारिकता के पुष्प लिखता हूँ ।

सोचता हूँ कि श्रद्धा के

दो पुष्प मैं भी अर्पित करुँ,

तभी तो मन की पीड़ा के 

दो अश्रुशब्द लिखता हूँ।



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