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Manu Sweta

Inspirational

4.9  

Manu Sweta

Inspirational

अरे फैशन

अरे फैशन

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अरे फैशन तेरी क्या बतलाऊँ बात,

तात तो दिखे माता जैसी माता दिखे तात।


कपड़े घटते गए हैं तन से और घट गयी है लाज,

अपनों की खातिर अब दिल मे नहीं रहे जज़्बात।


तंग पैंट की जग में देखो ऐसी चली बयार,

जेबें तो अब छोटी पड़ गयीं बटुआ झांके बाहर।


घूंघट और शर्म में रहती थी पहले की नार,

पहन पलाज़ो आज की नारी हो गयी है आज़ाद।


रिश्तो की न रही मर्यादा और न रही लिहाज़,

बाप के संग में बेटा देखो पीवै रोज़ शराब।


किसको अपना कहें यहाँ पर किसका दे साथ,

मुँह में राम बगल में छुरी वाले बन गए हैं हालात।



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