अपवित्र अर्चना
अपवित्र अर्चना
अपवित्र तन, अपवित्र मन से क्या भेंट करूँ ?
राम/सीता, शिव /पार्वती,
हरि/लक्ष्मी, राधा /कृष्ण
को क्या अर्पित करे, असुर कोई।
विचार भ्रष्ट, व्यवहार नीचता भरा।
पवित्र हो जाए , हृदय उसका भी, शायद??
दया दृष्टि डाल दो, एक बार।
चरण वंदन, चरण वंदन।
शत शत नमन।
