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Dr Jogender Singh(jogi)

Abstract

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Dr Jogender Singh(jogi)

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अपवित्र अर्चना

अपवित्र अर्चना

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अपवित्र तन, अपवित्र मन से क्या भेंट करूँ ?

राम/सीता, शिव /पार्वती,

हरि/लक्ष्मी, राधा /कृष्ण 

को क्या अर्पित करे, असुर कोई।

विचार भ्रष्ट, व्यवहार नीचता भरा।

पवित्र हो जाए , हृदय उसका भी, शायद??

दया दृष्टि डाल दो, एक बार।

चरण वंदन, चरण वंदन।

शत शत नमन।



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