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अपनों का दर्द अपने समझते हैं

अपनों का दर्द अपने समझते हैं

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सिर्फ फायदा और

नुकसान से

लोग रिश्तों

का मतलब

निकालते हैं।


क्या जिंदगी

यहीं तक सीमित

हैं, नहीं

आगे भी हैं।


जिस दिन

हम इससे

आगे की सोचेंगे

फिर रिश्तों की

अहमियत का

एहसास होगा।


फायदा और

नुकसान, व्यापार

में होता है,

रिश्तों में नहीं।


रिश्तों में

तो अपनापन

होता है क्योंकि

अपनों का दर्द

अपने ही समझते हैं।


असली दोस्त,

साथी, जीवन साथी

वही होता है,

जो फायदा और

नुकसान के आगे की

सोचता है।


लोग हमसे

इसलिए जुड़े हैं

कहीं ना कहीं

हमसे, उनको

फायदा है।


जिस दिन

उनका मतलब

निकल जायेगा,

कचरे की तरह

हमें कूडे़दान

में फेंक देंगे।


असली दोस्त,

सच्चा साथी

वही होता है,

जो किसी भी

परिस्थिति में साथ

ना छोड़े।


एक-दूसरे

का दर्द समझने के

लिए इंसान होना

ही काफी है,

और इंसान होने

के नाते

सभी अपने है।


अपनों का दर्द

अपने ही समझते हैं।


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