अपनी गलतियों से मिली सीख
अपनी गलतियों से मिली सीख
कभी-कभी कुछ गलतियाँ हमसे हो जाती हैं,
अनजाने ही सही पर हो जाती हैं,
उन गलतियों में हम इतना फँस जाते हैं
कि होश आते ही खुद को कहीं गिरा हुआ पाते हैं।
इतना तो पता है कि
ये ख़ुदा जो भी करता है उसके पीछे कुछ अच्छा छिपा रहता है,
अच्छा हो या बुरा हो पर कुछ लिखा रहता है,
इसलिए कभी इन्हीं गलतियों के कारण
किसी को उठा देता है तो किसी को गिरा देता है।
लेकिन कुछ गलतियाँ हमसे यूँ हो जाती हैं,
जैसे तूफ़ान आता है सब बर्बाद करके यूँ चला जाता है
लगता है जैसे पहले हम कहाँ थे और अब हम कहाँ हैं,
हम दूसरों की क्या कहें,
हम अपनी खुद की ही नज़रों में खुद को गिरा हुआ पाते हैं।
कुछ की नज़रों में गिरते हैं तो कुछ को मायूस करते हैं,
कुछ को दुख होता है
तो कुछ मुख फेर लेते हैं।
बाद में पछताने से कुछ नहीं होता है,
क्योंकि जो होना था वो हो चुका होता है,
उन गलतियों के बारे में सोचने में क्या रखा है,
जो खोना होता है वो खो चुका होता है।
बस एक ही राह बच जाती है,
भूल जाओ वो सब, सीख ले लो उनसे,
कि ऐसी गलती होगी न फिर से,
जिससे हम गिर जाएँ अपनी नज़रों में फिर से।
खुद को न इतना मायूस करना,
इतना न सोचना कि उसी में खोए रहना,
क्योंकि अब आगे नहीं बढ़े तो,
उन्हीं ग़लतियों को संवारने में पूरी ज़िंदगी लगा दोगे,
क्या पता कल कोई मौका फिर से
इन्हीं गलतियों से न निकल जाए।
बस इतना ध्यान रखना
जो हो गया सो हो गया,
वो होगा न फिर से,
आखिर गलतियाँ तो होती ही है इंसानों से,
इसलिए खुद को न यूँ कोसो हद से।
अपने क़दमों को ऐसे बढ़ा कि मंजिल खुद पास आने को तरसे तेरे,
और कामयाबी हाथ में रही तेरे
तो कोई भी गलतियों को भूल से सोचेगा नहीं तेरे।
इसलिए जो हो गया सो हो गया
ऐसा होगा न फिर से,
बढ़ा कदम आगे अपने पास आ जाएँगे फिर से तेरे अपने और सपने।
