अपने लिए
अपने लिए
रात भर बारिश बरस रहे थे
मेरा दिल ढूंढ रहे थे बे इमानी तुम्हें
तेरी तलाश में तालाब रहे थे
अब चूर चूर हो मैंने बहुत थक गया
नींद ना आपाया
सवेरा भी हो गया है
अभी, आज भी मेरा दिल
ढूंढ रहेगा तुम्हें
तुम कितना कटूर हो
बेपरवाह
फिर भी लाजवाब हो
मेरे लिए इस धरती पर
अब भी औषधि है तुम
अपने लिए।
