अपने हिस्से की लड़ाई ।
अपने हिस्से की लड़ाई ।
प्राणी मात्र में ईश्वर है, सोच
शेर के सामने ही खड़े रहे तो
शेर की भूख तुम्हें चट कर
राम नाम सत्य कर डालेगा।
ठोकर मारने वाले के ईश्वर को
यूं ही मत जाने दो।
अपने अंदर के ईश्वर को
यह कहकर जगाया था,
इतना ठोको ,इतना ठोको की बस।
समझदार हो समझ गए ना
पाठ यह बड़े काम और व्यवहारिक है।
अन्यथा हाँ बंधु
अपने अंदर का ईश्वर मार
जी तो लोगे तुम पर ,
क्या यह जीवन, जीवन कहलाएगा, हैं?
यह कैसी सोच है?
माना उसने तुम्हें सताया था
तुम्हें ना ऐसा करना था।
है, ना न्याय करने को ईश्वर बैठा
कर्म फल वह देता है।
यह किसकी ईश्वर ने मुंह खोला है?
कौन सा ईश्वर ?कैसा ईश्वर?
किस दुनिया में रहता है वह?
मेरा ईश्वर जड़ नहीं है।
अपने हिस्से की लड़ाई करना
खूब उसे आता है।।