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Krishna singh Rajput sanawad

Abstract

4.3  

Krishna singh Rajput sanawad

Abstract

अपने ही रिश्तेदार है

अपने ही रिश्तेदार है

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इन्हें परखना बहुत ही

मुश्किल यार है,

पता ही नहीं चलता कौन

अपने और कौन गद्दार है।


कुछ सच्चे कुछ झूठे जैसे भी है

सब अपने रिश्तेदार है

मां-बाप ही है जो हमसे

सच्चा करते प्यार है।


बाकी किसी को जरूरत हमारी है तो

कोई दिखावे के लिए लाचार है।

कुछ सच्चे हैं कुछ झूठे हैं

जैसे भी यह सब अपने रिश्तेदार है।


खुशियां, विश्वास, जिम्मेदारी

इन्हीं पर करते एतबार हैं।

अब जाने भी दो यार जैसे

भी है अपने ही रिश्तेदार है।


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