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Raja Sekhar CH V

Abstract Tragedy

4  

Raja Sekhar CH V

Abstract Tragedy

अनुद्योग

अनुद्योग

1 min
242


नेता कह रहे हैं अपने दिल की बात,

पता नहीं कब सुनेंगे अवाम की बात,

कभी तो सोचे सुनें अनुद्योग की बात,

कभी तो सुनना पड़ेगा विदुर की बात ।१।


नहीं चलेगा असत्य संवाद माध्यम की बात,

कितना बढ़ाते रहेंगे अपने सराब की बिसात,

बहुत ग़ौर से समझें बेरोज़गारों के बुरे हालात,

बद् से बद्तर हो जा रहे हैं लोगों के दिन-रात ।१।


होता जा रहा है आबादी में विस्फोटक बढ़त,

औद्योगीकरण पर नहीं हो रहा है ध्यान केंद्रित,

नए संस्थाओं को किया नहीं जा रहा प्रोत्साहित,

बेकारी से युवा वर्ग होती जा रही है हतोत्साहित |३|


अनियंत्रित आर्थिक मंदी से कम जाए खपत,

धीमी होती जाए आर्थिक विकास की औसत,

महँगी होती जाए रोज़मर्रे ज़िंदग़ी की ज़रूरत,

कोने कोने में फैलता जाए लूटमार की दहशत |४|


खली बैठें जब समाज में प्रशिक्षित अप्रशिक्षित,

कोई भी सदन में कोई भी रह न पाए प्रसन्नचित्त,

अधर्म अपराध की दिशा में मानस हो जाए प्रेरित,

नए नीतियों से नौकरी के अवसर होंगे पुनर्निर्मित |५|



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