Neer N
Abstract
कोई किसी को नहीं बताता
अपने अंदर का द्वंद्व,
कोई किसी पर ज़ाहिर नहीं करता,
सब हंसते हैं, मुस्काते हैं
अपने आप को खुद ही बहलाते हैं
कोई किसी पर ज़ाहिर नहीं करता।
मां....
दवा
नीर
दोस्त....
तुम मुझे पढ़ ...
मुझे पसंद नही...
खूबसूरत
तुम्हारे खत.....
बेख्याली का ख...
हुई जो त्रुटियां उनसे सीख है लेनी, कि उन्हें फिर कभी न हम दोहराएं। हुई जो त्रुटियां उनसे सीख है लेनी, कि उन्हें फिर कभी न हम दोहराएं।
नए साल में नए जोश से, उत्सव हम मनाएंगे। नए साल में नए जोश से, उत्सव हम मनाएंगे।
हर खुशी आपकी हर उदासी आपकी हर दुख आपका हर सुख आपका। हर खुशी आपकी हर उदासी आपकी हर दुख आपका हर सुख आपका।
खुद कवि भी नहीं समझ पाता अपने कल्पनाओं की उड़ान को, खुद कवि भी नहीं समझ पाता अपने कल्पनाओं की उड़ान को,
तुम्हारे शब्दों की गूंज दिल में होती है, जहेन में तूफान ऐसा होता! तुम्हारे शब्दों की गूंज दिल में होती है, जहेन में तूफान ऐसा होता!
पाँचवें दिन का रात सब राज़ बता देगा। पाँचवें दिन का रात सब राज़ बता देगा।
तुझे खुश रहना है, तेरी खुशी मेरा गहना है। तुझे खुश रहना है, तेरी खुशी मेरा गहना है।
वो लम्हे जिंदगी के जो बीते थे तेरी पनाहों में । वो लम्हे जिंदगी के जो बीते थे तेरी पनाहों में ।
उन्नति के शिखरों को छूकर व्योम के पार जाना है। उन्नति के शिखरों को छूकर व्योम के पार जाना है।
काश कोई ऐसी तस्वीर ना होती। काश कोई ऐसी तस्वीर ना होती।
अकेले अब घुटन सी होती है कोई दर्द नहीं समझता यार । अकेले अब घुटन सी होती है कोई दर्द नहीं समझता यार ।
झगड़ा हर किसी की कहानी का हिस्सा होता है, खुदा ने मेरी कहानी मे भी इसका खूब यूज़ किया! झगड़ा हर किसी की कहानी का हिस्सा होता है, खुदा ने मेरी कहानी मे भी इसका खूब यू...
आज जीवन सड़क पर पीछे पड़ती है जब नजर ! आज जीवन सड़क पर पीछे पड़ती है जब नजर !
नशे हजार है गालों पर सदाबहार है! नशे हजार है गालों पर सदाबहार है!
दूर तक परछाइयाँ भोग महलों की छाई हैं दूर तक परछाइयाँ भोग महलों की छाई हैं
अपने आंसू रोक कर मैंने खुद को सम्हाल लिया। अपने आंसू रोक कर मैंने खुद को सम्हाल लिया।
शाम ढलती आग जलती, शीत लहर सुबह शाम चलती। शाम ढलती आग जलती, शीत लहर सुबह शाम चलती।
यह दुनिया कितनी गोल है। धरती का आकार ही नहीं। यह दुनिया कितनी गोल है। धरती का आकार ही नहीं।
लेकिन अस्वीकार के डर से चुप हैं कि कहीं हमारी महान बनने की हसरत मिट्टी में न मिल जाए। लेकिन अस्वीकार के डर से चुप हैं कि कहीं हमारी महान बनने की हसरत मिट्टी मे...
लो आ गई मकर संक्रांति , हम औरतों के लिए , जैसे हो ये क्रांति! लो आ गई मकर संक्रांति , हम औरतों के लिए , जैसे हो ये क्रांति!