अंतर है
अंतर है
पागल रहते हम जिसकी ख़ातिर
मन उत्सुकता में भरा सदा रहता है
जब प्राप्ति हो जाती है उसकी, तब अनुपयोगी जाता है।।
छोटा शिशु और बूढ़े इंसान में
थोड़ा-सा तो अंतर है
एक परिवर्तन हेतु आता, दूसरा अनुभव छोड़कर जाता है।।
गरीब दिखाता सदा शानो-शौकत
दिखावें में जिंदा रहता है
अमीर सरल एक जीवन जीता, उसका रहन-सहन भी साधारण होता है।।
ढींगे हाँकता गरीब हमेशा
ज्ञान धन का प्रदर्शन करता है
अमीर हमेशा शांत ही रहता, उसमें बड़बोलापन न रहता है।।
संघर्ष करते दोनो ही
एक बुद्धि को काम में लाता है
मौके का फायदा अमीर उठाता, न नई तकनीकी से अनभिज्ञ रहता है।।
ज्ञानी हमेशा ज्ञान ढूंढता
चीज़े नई-नई सीखता रहता है
अज्ञानी अभिमानी हो जाता, खोया तर्क-वितर्क में रहता है।।
चिन्तन करता ध्यानी हमेशा
आत्ममंथन हमेशा करता है
शंकालू सब कुछ गवांता, सदा चिंता में पड़ा वो रहता है।।
लोभी चाहता लंबा जीवन
धन के लिए बस जीता है
कर्मठ हमेशा कर्म को करता, सदा जीवन-मरण को एक समझता है।।