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Kumar Vikash

Inspirational

4.5  

Kumar Vikash

Inspirational

अंतिम से आरंभ किया

अंतिम से आरंभ किया

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धन दौलत योवन कामिनी कंचन काया

काया जब मुरझाये मिट जाये माया


माया का जाल अनोखा कोई न बच पाया

पाया मीरा ने गिरिधर को पीकर बिष का प्याला


प्याला बिष का भी बन जाये अमृत धारा

धारा बहे जब हरी नाम की मन हो जाये मतवाला


मतवाला मन हरी का क्या जाने इस जग की माया।


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