अनसुलझे प्रश्न
अनसुलझे प्रश्न


जानेमन मैं कौन हूँ
तेरी चौखट की रानी हूँ
क्या लगती हूँ तुम्हारी?
उसने बड़े प्यार से अर्धांगिनी कहा।
सात जन्मों के
सात फेरों का बँधन कहा।
लेकिन घरपरिवार और समाज में
जब मन किया,
तभी दुत्कार दिया।
ससुराल वालों ने मानसम्मान से
बहू का दिया दर्जा
लेकिन कदमकदम पर
उन्हें बेटी बनाने से हुआ था हर्जा।
बच्चों ने कहा माता
हमारी भाग्य लकीरों की विधाता।
जिनके लिए स्वयं को दिया था विसार
फटी हुई बेवाईयाँ
और जले हुए हाथों के जख्मों को
अब उनमें से कोई नहीं है सहलाता।
माँबाप ने बड़े प्यार से कहा
बेटी हो
कोख से जाई हो
लेकिन जग की रीति अनुसार पराई हो ।
अनमोल रिश्तों में बँधीबँधाई हो
अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर की चाह में
हर चौखट पर तुम पराई हो
केवल अनसुलझे प्रश्न का उत्तर हो
जानेमन मैं कौन हूँ ?