दूसरे दिन की डायरी अनोखा अनुभव
दूसरे दिन की डायरी अनोखा अनुभव
फिर धीरे-धीरे सब को आदत सी पड़ने लगी,
सब घर वालों को एक ही छत के नीचे रहने की आदत हो गई।
बुजुर्गों को भी बच्चों से प्यार होने लगा,
और बच्चों को भी बुजुर्गों से मुझे प्यार होने लगा।
सब लोग अपनी जिंदगी में बिल्कुल खुश रहने लगे,
घर से ही बच्चे पढ़ाई करने लगे ऑनलाइन।
और हम भी घर से ही दफ्तर का काम करने लगे,
घर में तरह तरह के खाने बनने लगे।
सब लोग इतने समझदार हो गए,
कि सभी तरह के एतिहाद बरतने लगे।
और घर में तो इतना भाईचारा हो गया,
कि सब लोग एक दूसरे का हाथ बटाने लगे।
एक ऐसा अनोखा अनुभव हुआ है,
जो हम सबके लिए अच्छा भी है और बुरा भी है।
क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं,
हर शाम के बाद एक सवेरा जरूर होता है,
अब एक दिन जरूर एक नया सवेरा होगा।
