STORYMIRROR

Bharati Srivastava

Tragedy

4.8  

Bharati Srivastava

Tragedy

अन्नू

अन्नू

1 min
290


दस साल की अन्नू

जितना छोटा नाम

उतनी छोटी काया

समाज की नजरों से

लड़की होने की किसी भी 

कसौटी को पार नहीं कर पाती है

तुतलाती है 

गहरी श्यामा

कमजोर सी

ठीक से देख भी नहीं पाती है


मासूम है 

निरपराध है फिर भी 

रोज़ सजा पाती है

अपने मन की बातें 

बताने को सदैव आतुर

पर कोई सुनता नहीं 

तो चुप हो जाती है

फिर भी बताती है कि

माँ उसे मर जाने को कहती है 

बीमार होने पर भी 

इलाज को तरसती है


किसी से कुछ नहीं कहती 

टुकुर -टुकुर देखती रहती है

कुछ पाना चाहती है 

पर नहीं जानती क्या 

दमन उसके चेहरे से 

उसके अस्तित्व पर

हावी हो रहा है

विवशता 

व्यथा

लाचारी को जी रही है

इसी तरह वो बढ़ रही है

इक्कीसवीं सदी में


बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 

के नारे सुन तर रही है

जिस प्रदेश जिस घर में 

वो पल रही है 

वहां ये नारे बेमानी हैं

ये लोग दूसरों का दुख सुन

रो पड़ते हैं

फिर अपनी बेटी को कोसने 

चल पड़ते हैं

अनु बड़ी हो जाएगी

तब शायद 

अपना दर्द बता पाएगी

या शायद नहीं भी

कभी भी इक्कीसवीं सदी का 

जीवन जी पाएगी

या मन मार कर ही रह जाएगी..


Rate this content
Log in

More hindi poem from Bharati Srivastava

Similar hindi poem from Tragedy