अनलॉक
अनलॉक
शुरू हो गई चहल पहल,
गांव मोहल्ला और शहर
अनलॉक से खुल गए जैसे,
बंद किस्मत के सबके ताले ।
उम्मीदों की लौ जगी है,
सब को एक आस दिखी है ।
सुनसान हो गए रास्तों की,
ख़ामोशी भी टूट रही है ।
फेरी वालों की आवाज़ें,
उनके चेहरों की मुस्कानें,
फिर आई है हौले हौले,
बंद दुकानों के दरवाज़े,
खुल रहे हैं धीरे-धीरे,
सपने से जागे हों जैसे ।
बाज़ारों की रौनक़ जिनसे,
वो ख़रीदार भी निकल पड़े हैं,
वीरानी और मायूसी भी, निकल
पड़ी है अपने रस्ते ।
गुम थे अब तक गुमटी वाले,
लग गए फिर से अपने धंधे ।
सड़कों के सन्नाटे भी
आहिस्ता हो रहे किनारे
शुरू हो गई चहल पहल
गॉंव मुहल्ला और शहर।