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Pooja Agrawal

Inspirational

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Pooja Agrawal

Inspirational

अंकुरण

अंकुरण

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 बीज बोया जतन से मैंने,

 की लगन से खूब गुड़ाई।

सींचा उसको प्रेम सुमन से,

फिर मेरी मेहनत रंग लाई|


अंकुर फूटा उस मिट्टी में,

 पर मन मेरा प्रफुल्लित हुआ।

ऐसा लगता था जैसे मेरे मन में,

एक शिशु का सृजन हुआ।


सुबह शाम की सुध नहीं थी,

उसको निहारती थी जी भर कर।

कहीं कोई उसको मुझसे ना छीने,

रहती थी मैं डर डर कर।


 फिर एक दिन वह पल आया,

जिसका बेसब्री से इंतजार था।

 हरी-भरी वह टहनी थी अब,

छोटे पत्ते करते उसका श्रृंगार था। 


पत्तियों के आवरण से,

जब कलियां निकल कर आई।

ऐसा लगा बेटियां हैं वह,

 जो मेरे आंगन में खिल खिलायीं।


आंख मीच ते फूल बन गई,

उन पर जवानी खूब फब गई।

लहराता पौधा मेरा देख,

मन मयूर झूम गया।


 छोड़ के अपने चले गए सब,

तू ना मुझको छोड़ कर जाना।

जब जरूरत पड़े तेरी मुझे,

तू मेरा हमसाया बन जाना।


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