अनकहे रिश्तों की मीनार
अनकहे रिश्तों की मीनार
रिश्तों की बात करूँ
तो
फँस जाती हूँ चक्रव्यूह में
क्योंकि
अपने तो अपने न रहे
दोस्तों ने भी मुँह फेरा
पर
जिंदा हूँ आज भी
उन अनकहे रिश्तों के कारण
जिन्होंने
जिंदगी की सच्चाई बताई
असलियत से वाकिफ कराया।
अब दिल में इन्हें बसाकर
चल पड़ा हूँ अपनी राह
इन्ही अनकहे रिश्तों के बल पर
बेसहारों का सहारा बन
नए रिश्ते जोड़
इंसानियत की नींव पर
खड़ी कर दी है
एक सशक्त मीनार
अनकहे रिश्तों की
जिसे जरूरत नहीं
किसी सीमेंट
या फेविकोल की
क्योंकि
एहसासों की नींव पर
टिकी है ये मीनार
न हिलेगी, न गिरेगी
अनकहे रिश्तों की मीनार।
