अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
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तुम खामोशी हो मेरे मन की, मैं अनकहा अल्फ़ाज हूँ
तुम स्याही हो मेरी कलम की, मैं एक बेकाबू जज़्बात हूँ !
तुम खुला आसमान हो मेरा, मैं एक पागल परिंदा हूँ
तुम रूह हो मेरी, मैं सिर्फ़ तुझमें जिन्दा हूँ !
तुम समंदर हो मेरा, मैं उसका किनारा हूँ
तुम चाँद हो मेरा, मैं एक टूटा सितारा हूँ !
तुम दुनिया हो मेरी, मैं उसका हिस्सा हूँ
तुम शायरी हो मेरी, मैं सिर्फ़ एक उलझा किस्सा हूँ !