अनजान सफ़र
अनजान सफ़र
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फ़िर एक रेलवे स्टेशन
फिर एक ट्रेन का इंतजार !
फिर एक सफ़र
फिर उसी उधेड़ पन में
उलझा मन की
न जाने ये जिंदगी की गाड़ी
कहां जाकर ठहरेगी
एक सुकून भरी सांस
अब कहां जाकर मिलेगी !