पुरानी यादों का पिटारा
पुरानी यादों का पिटारा
मैंने देखा हैं
उन कोटा की गलियों में
मुर्दों को भी चलते , मैंने देखा है।
हजार सपने लेकर, उन्हे पुरा करने के लिये
तपती धूप में उन्हे दोड़ते , मैंने देखा है ।
अच्छी पड़ाइ पाने के लिये कभी कोटा तो कभी इन्दौर,
सैकड़ों कोचिंगो में भटकते , मैंने देखा है।
जो परिन्दे उड़ के आये थे दूर अपने घरों से
उन्हे खूद पिंजरे की तरफ़ भागते , मैंने देखा है।
Allen , BMC, से AAYAM तक, रास्तों में
हरी , लाल तो कभी नीली t-shirt में ं Robot's को
भरी धूप में पिघलते , मैंने देखा है।
घरवालों के सपने पूरे करने के लियें , खूद के
सपनों को अपने ही अन्दर दफ़न होते , मैंने देखा है।
अपनी असली प्रतिभा पर चादर डालें , कठपुतली
का खेल अच्छे से खेलते , मैंने देखा है।
जीवन में लाख परेशानियां , पर चेहरे
पे उस झूठी हँसी को लाकर मुस्कुराना , मैंने देखा है।
फ़िजिक्स के सवालों में उलझकर उस बेबसी को
आखों के कोने से पानी बनकर निकलते , मैंने देखा है।
किताबों के मुर्दा घरो (पुस्तकालय ) में
H C Verma को सिना तान टहलते , मैंने देखा है।
स्कूल वाली प्यार कि किताब को भूलकर
NCERT से दिल लगाते , मैंने देखा है।
सख्ती से पड़ाई करने आये थे पर लड़की के
Doubt पूछने पर झट से पिघलते , मैंने देखा है।
कई सपनों को पुरा होते , तो कई ख्वाबों को
सूली पर लटकते , मैंने देखा है।
पिता को हमारे भविष्य कि चिंता रहतीं पर
माँ को हमें शा हि प्यार करते , मैंने देखा है।
बड़े घरों में रहने वालों को आज आसमान के
नीचे 10/10 के कमरों में समें टते , मैंने देखा है।
हजार दिक्कतें रहने - खाने में पर मम्मी को
फोन पे "सब बड़ीया हे" , कहते में ने देखा है।
बहुत को अवसाद में सिग्रेट कि डिब्बियों
के साथ जलते, तो कईयों को शराब में डूबते , मैंने देखा है।
डाक्टर बनने के सपने को खूद
अपने पैरों तले कुचलते , मैंने देखा है!
अपने सपनों को खाक होते देख
कईयों को घर वापस जाते , मैंने देखा है।
जिन्दगी ये हताश कईयो को
पंखे से लटकते , मैंने देखा है।
AIIMS का सपना देखकर,
fishery पर थमते , मैंने देखा है।
हजार नाकामियां मिली हो, पर लाख अनुभव
के साथ ज़िन्दगी को मज़े से जीते , मैंने देखा है।
आज उसी सपनों के शहर इंदौर में
फिर एक बाप को अपने अरमानों के साथ
अपने बच्चे को बोरिया - बिस्तर के साथ
छोड़ते , मैंने देखा है।
आज मैंने ये मेंकवर री नाकामी पर लिखा है।
पर जरूरी नहीं कि डॉक्टर बनेंगे तभी
हम जिन्दा रह पायेंगे , कईयो को डॉक्टर
बनने के बाद भी घूट-घूट के मरते , मैंने देखा है।