माँ मुझे तेरी बहुत याद आती हैं
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती हैं
रात दिन, सोते जागते बस तू ही नजर आती है।
तू कहती है मंदिर चला जाया कर,
मगर भगवान में तेरी ही सूरत नजर आती है
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती है।
याद है मुझे , जब तू स्कूल जाने के लिए चिल्लाती है,
अब कॉलेज जाते वक्त पीछे से वही आवाज़ रोज आती है
मगर पीछे मुड़कर देखूँ तो , तू फिर हवा हो जाती है।
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती है।
फोन पे बात करूँ तुझसे तो ,
तेरी आवाज़ में हल्की सी नमी आ जाती है
और उसे सुन मेरी आवाज़ तो कहीं गुम ही हो जाती है।
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती है।
जब किताबों को पढ़ते-पढ़ते आंखें दुख जाती हैं
कई दफ़ा रातों को नींद नहीं आती है
तब तू मेरे सपने में आकर मुझे कहानियाँ सुनाती है।
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती है।
जब कभी ठंडी रोटी और लौकी की सब्जी टिफिन में आती है
कई बार भूखे पेट ही नींद लग जाती है
तब तेरे हाथों की रोटी माँ मुझे सपने में भी सताती है।
माँ मुझे तेरी बहुत याद आती है।
मुझे घर से जाते देख तू बेचैन सी हो जाती है,
क्या खाएगा , कैसे रह पाएगा ,
तुझे रात - दिन बस मेरी ही फिक्र सताती है,
सच कहूँ तो , तू सबको नहीं जताती है
मगर मैं जानता हूँ,
तुझे भी मेरी बहुत याद आती है।