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DR. RICHA SHARMA

Abstract

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DR. RICHA SHARMA

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अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

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अनकहे रिश्ते जब अचानक मिलते हैं

तो फ़रिश्ते समान ही दिखते हैं

बीते समय में क्षण भर की मुलाकात याद

आ जाने पर मन बहुत मचलते हैं।


अंजान राहों पर चलते हुए

पता नहीं कौन कब मिल जाए

जिनसे एक बार मिलने पर ही

हम पुष्प समान खिल जाएं।


शब्दों की मीठी बोली से

आपसी वार्ता में मिश्री बन घुल जाएं

जीवन में कभी नहीं भुला पाने वाले

रिश्ते कायम कर जाएं।


अनकहे रिश्तों का

होता है ऐसा अहसास

जिसका पहले कभी

नहीं होता अभ्यास।


बन जाते हैं अंजान इकदूजे के लिए

बहुत ही खास

ये अद्भुत-अनमोल रिश्ते

रहने लगते हैं सदा आस-पास।


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