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Manu Sweta

Abstract

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Manu Sweta

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अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

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कुछ रिश्ते खुद बन जाते

कुछ रिश्ते अपने लगते

न जाने कब हो जाते अपने

हरपल हमको प्यारे लगते

न कोई शर्त रिश्तो में

बस प्यार ही प्यार लुटाते

न कोई साज़िश होती मन में

बस निश्छल निभाते जाते

न कोई दिखावा अपने अहम का

बस दिल की बात सुनाते जाते

कोई सीख नही कोई बंदिश नही

हमको आज़ादी से जीना सीखाते

बस कम ही होते है ऐसे अनकहे रिश्ते

जो खुद से ही खुद से बन जाते।



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