अनजान सफर
अनजान सफर
जाने किस राह पर चले हैं हम
जाने किस मोड़ पर ठहर गए हम
यह सफर बहुत कुछ सीखा गया
कुछ किरदार समझने से रह गए हम।
चाले की जिंदगी भी अजीब है
ठिकाने पर लगे तो नशीब है
अक्सर ही हम मात खा जाते है
क्योंकि हम तदबीर से गरीब है।
प्यादे पर शक किया तो गुनाह है
खयानत भी तो अपने ही करते हैं
हुक्मरानों को क्या दोष दे हम
जब खुद ही होना चाहते फना है।
शतरंज की चालो में खो गए कही
की अपना दर भी याद अब ना रहा
क्या बताएं किसी को दर्द ए दास्तान
की पलभर का भी यकीन ना रहा।
की तुम्हे पाने की चाह इस कदर है
भटकता यह दिल अब दर दर है
तूम कहाँ खो गई अब ए जिंदगी
मात तू है तो फिर शह किधर है।
रानी को पाने सैंकड़ो प्यादे लड़ते है
मगर पास तो कोई वजीर ही जाता है
अंतिम पल में वो भी फना हो गया
मंजिल तो अंत मे बादशाह ही पाता है।
हम भी वो वजीर बने तेरे लिए मगर
शमशीर भी हमारी उस वक्त टूट गई
जब सोचा बहूत सी जिंदगी है अब
इस जीवन की डोर भी तब टूट गई।
जीवन मे मात मिलना कोई खास नही
लग जाये चाल ठिकाने यह आस नही
पर रहमत उसकी तू क्या जाने ए यारा
मौत तब होती जब तू भी मेरे पास नहीं।
जमाने के लाखों दर्द सीने में छुपाए है
अपनो ने ही खून के आँशु रुलाएं है
तू तो खैर एक राह है इस जीवन की
जी ली यह जिंदगी अब इससे बैर नहीं।
अब तो हर सफर बेगाना लगता है
हर किरदार हमें दीवाना लगता है
क्या मिला इस अनजान सफर में
चलते रहो लक्ष्य अभी दूर लगता है।