अंग्रेज और कढ़ी
अंग्रेज और कढ़ी
नमस्ते एहसास
अपनेपन का ग्रुप परिवार
मैं सुमित अपनी एक हास्य-व्यंग्य
पर आधारित कविता
"अंग्रेज और कढ़ी" आप सभी के
समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं
आशा करता हूं कि आप सभी
को ये कविता बहुत पसंद आयेगी।
कृप्या करके आप सभी अपना प्यार
और आशीर्वाद देकर कृतार्थ करें।
कविता: अंग्रेज और कढ़ी।
एक अंग्रेज ढाबे में आया,
उसने देकर आर्डर कुछ खाने को मंगवाया।
वेटर ने उसे खाने को कढ़ी चावल दिया,
उसे बहुत स्वादिष्ट लगा खाना।
उसने फिर से मंगवाया वही खाना,
तभी एक और वेटर आया।
वेटर बोला क्या है लाना,
अंग्रेज बोला कि वो पीला-पीला पकवान लाना।
वेटर बोला नाम बताएं
क्या चाहते हो खाना,
अंग्रेज बोला कि वो
पीली-पीली बच्चें की टाटी लाना।
