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Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

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Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

अँधेरों से उजालों में

अँधेरों से उजालों में

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अँधेरों से उजालों में बाहर निकल कर देखो सुबह सूरज की किरणें अपनी खिड़की खोलकर देखो, 

अपने पुराने दुःखों को ज़िंदगी में भूला कर तो देखो, देखो हर चेहरे पर मुस्कान आज़मा कर देखो !


वक्त के अँधेरों से उजालों में लाकर देखो, हर यादों में उसकी नादानियाँ देखो,

जितनी भी हो ख़ूबसूरत दुनिया, उस अँधेरी दुनिया से बाहर उजालों में आकर देखो !


अपने सभी पंख फैलाकर पंछियों की तरह खुली हवाओं में उड़ना सीखो,

जितनी भी ज़िन्दगी हो, बस दो पल किसी के साथ प्यार से निकाल कर देखो !


अपने एहसासों की गहराइयों में, खुलें अरमान सजा कर देखो,

सबकी ज़िंदगी की तरह दूसरों की ज़िंदगी में खुशियाँ लाकर देखो !


अपनी उम्मीदों को कभी दबाना नहीं अपने सपनों को कभी चूर होने देना नहीं

जितने भी वक्त साथ हो उन सब की ज़िंदगी में बस खुशियाँ ही खुशियाँ हो सब के साथ हमारी,


अपनी खुशियों से ज़्यादा दूसरों की खुशियाँ ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं,

जो पल दूसरों से ज़्यादा अपनों में नहीं होते वो खुशियाँ भी कभी अपनों की पूरी नहीं होती!


मेरी ज़िंदगी नाज़ करती है, उन पर जिससे मैं अपनी खुशियाँ देख सकूँ!

     


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