अलविदा
अलविदा
नाम कमाने का शौक नहीं
बस अपने शौक पूरे करते है हम
लिखने का हुनर थोड़ा सा आ गया
जब जी चाहे उसे पूरा करते हैं
किसी के दिये शब्दो को नहीं
हम अपने शब्दों को पिरोते है
जीत कर हर बाज़ी हमको क्या करना है
बस लोगों के दिलो में जगह बनानी है
किसी की जी हजूरी करना हमको भाता नहीं,
हम तो बस अपनी ही धुन में जीते हैं,
गर किसी को हमारा हुनर पसंद आएगा,
तो वो हम को खुद ब खुद पसंद करेगा,
वक्त की कमी है अब तो
इस शौक का है त्याग करना,
अपनो को नाराज़ करके नहीं
हमको कोई शौक पूरा करना,
अलविदा करते हैं अब
सबको कुछ समय के लिए,
गर किस्मत में हुआ तो लौट के
फिर आएंगे अपने हुनर को आजमाने।