STORYMIRROR

manish shukla

Abstract

3  

manish shukla

Abstract

अकेला इंसान

अकेला इंसान

1 min
198

पर्वत लांघ कर,

कोई महान नहीं होता,

अकेला इंसान,

कमाल नहीं होता,

जब मिलते हैं,


एक और एक ग्यारह,

तब ही

एकता का पैगाम होता है

एक और एक ग्यारह,

मिलकर राई को भी,

पहाड़ बना देते हैं,


बियाबान जंगल में,

धमाल मचा देते हैं,

पूरी दुनिया देखती,

रह जाती है,

वो मिलकर,

कमाल दिखा देते हैं,


एक और एक ग्यारह,

मिलकर बनती है,

हिम्मत, ताकत, और एकता,

जो हुजूम को भी झुका देते हैं


एक और ग्यारह,

बनाते हैं भीड़ को टीम,

वो टीम विश्व विजयी होकर,

देश को महान बना देते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract