अजनबी हमसफ़र
अजनबी हमसफ़र
चलते हो तो साथ चलो ज़रा हमारे
बदल जायेंगे दिल के इरादे तुम्हारे
दुश्वार रहगुज़र अजनबी हमसफर
मज़िलें मगर खुद करेंगी हमें इशारे
बेशक रहें दोनों के मकसद जुदा
कटता है सफ़र इक-दूजे के सहारे
माना कि हम में है कुछ कमोबेशी
आसमाँ से कहाँ गये फरिश्ते उतारे
इन हौसलों पे ज़रा ऐतबार तो करो
ख्वाहिशें अपनी खड़ी हैं बाँहे पसारे
कश्ती उम्मीदों की डूबने मत देना
हिम्मत तूफां में ढूंढ लेती है किनारे
‘दक्ष’ जिंदा है इक मिसाल बन कर
जो मारे नहीं मरे हराये नहीं है हारे
