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Mukesh Bissa

Abstract

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Mukesh Bissa

Abstract

अजीब लगता है

अजीब लगता है

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फरेब धोखा बताने में अजीब लगता है

सच के करीब जाने में अजीब लगता है


 अलग रहूं ये मुझको नहीं गवारा

 संगम कराने में अजीब लगता है


 खुद ही ठुकराया था मैंने इक दिन

 पास बुलाने में अजीब लगता है


मेरी कुछ बात वो मेरी मानेगा नहीं

दिल को निभाने में अजीब लगता है


टूट गया है उनसे रिश्ता ये भी 

खुद को बताने में अजीब लगता है


 ये वादें तोड़ नहीं मैं सकता 

 वादें करने में अजीब लगता है।


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