अजीब है ज़िन्दगी
अजीब है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी के सफ़र में,
अनजान मंजिल की आस में ,
भटकी हुई राहों की तलाश में,
किसी अजनबी पर नजरे तो थमी होगी,
बेबस निगाहों से नजरें तो मिली होगी,
दर्द से तड़पती, रोती हुई ज़िन्दगी तो दिखी होगी।
जीवन आसान नहीं, दुनिया बहुत ज़ालिम है,
हम सुनहरे ख्वाब को जीने की राह में , खुद किसी की ख्वाबो में रह जाते हैं।
अकसर ठोकर लगने पर , संभलते कम , बिखरते ज्यादा हैं ,
दुनिया जीतने तो निकलते हैं , ज़िन्दगी ही हार जाते हैं ।
गरीब सिर्फ वह नहीं, जिनके पास रहने को घर नहीं, पहनने को वस्त्र नहीं,
भूखे सिर्फ वह नहीं ,जिनके पास खाने को अनाज नहीं,
आभाव बेसक अलग-अलग हो सकते हैं, गरीब तो सभी हैं यहाँ।
भूखा तो वह भी है ,जिसके पास खाने को वक़्त नही।
भिखारी सिर्फ वह नहीं, जो हमे भीख मांगते दिखाई पड़ते हैं,
वह पांच साल में ही सही, वोट मांगते भी अक्सर दिखाई पड़ते हैं,
भूखे, नंगे, गरीब की ही सही , सहानुभूति लेते जरूर दिखाई पड़ते है।
