ऐसे आएगा रामराज्य
ऐसे आएगा रामराज्य
अनंत सुख होती है चाहत सबकी,
कोई काल हो या कोई भी समाज।
न हो कष्ट या कोई भी हो शिकायत,
कहा जाए सुशासन ज्यों रामराज्य।
भविष्य के प्रति सब ही चिंतित ज्यादा,
करते रहते हमें दुखी हैं बीत चुके पल।
बेपरवाह रहते हैं अक्सर वर्तमान से,
जो भूल सुधारेगा और संवारेगा कल।
सुरक्षा आजादी तो हर कोई ही है चाहे,
चाहते सब रामराज्य वाला ही समाज।
कलह, लूट, अवज्ञाकारी भी हममें से ही,
भ्रष्टों को भ्रष्टों पर होता है बड़ा ही नाज़।
दुनिया हो वैसी जो होती है चाह हमारी,
पर नहीं कर पाते हैं हम खुद में बदलाव।
जगत न बदलने का अति दुख है हमको,
पर बदल नहीं पाते है हम अपना स्वभाव।
जब तक नहीं बदलते स्वभाव हम अपने,
न देखें समाज में बदलाव के हम सपने।
मिलेंगे सब ही सुख और मिटेगा हर ग़म,
हर दूजे को जब यह दे पाएंगे सब हम।
चिंता करेंगे दूसरों की , त्याग स्वार्थ भावना,
परहित भाव से भरा होगा जब सारा समाज।
सुखी तभी दुख रहित सभी होंगे इस जग में,
स्थापित होगा प्रभु श्रीरामजी का रामराज्य।
