Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kuhu jyoti Jain

Abstract Children

4.7  

Kuhu jyoti Jain

Abstract Children

अहसास : बचपन

अहसास : बचपन

1 min
222


निर्झर, निश्चिंत, निश्चल है बचपन 

पानी-सा बहता कल -कल है बचपन 

बिना सोचे मुस्कुराता, बिना बात के रुठ जाता 

ज़रा-सी गुदगुदी पर खिल खिलाता बचपन। 


कचौड़ीयां क्यों कड़ाही में नहाती है ?

जलेबी कब जले बन जाती है ?

रोटी में हवा कौन भरता है ? 

पानी में बुलबुला क्यूँ उठता है ? 

लाखों हैं सवाल फिर भी आसान है

बचपन कौतूहल, सवाल,

जवाब पर विश्वास है बचपन


 उत्साह, उमंग, तरंग है बचपन 

होली में उड़ता रंग है बचपन

 त्योहारों की तैयारी है, सबसे इनकी यारी है

 प्यारी प्यारी बातों में मासूम सा तुतलाता है बचपन 


कभी लिटिल सिंघम, कभी छोटा भीम

 कभी खट्टा बेर, कभी मीठा नीम

 कभी मीठी सी पप्पी, कभी गाल पर थपकी

 कभी दादी का दुलार, कभी गोद में झपकी 

जीतने रिश्तों से भरा उतना ही सँवरता है

बचपन लाड़, दुलार, आशीर्वाद,

स्नेह और प्यार है बचपन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract