अधूरी प्रेम कहानी
अधूरी प्रेम कहानी
चलो ये सफ़र यहीं ख़त्म करते हैं
जो इतु सी प्रेम कहानी शुरू की थी उसे यहीं विराम देते हैं
दुनिया तुम्हारी अलग है मैं अपनी दुनिया में ढलती हूँ
तुम अपनी राह पकड़ो मैं अपने रास्ते पर चलती हूँ ।
भूलना मुश्किल है पर चलो कोशिशें तो करते हैं
भूल पाएंगे उस दोस्ती को
जिसका आज भी दम भरते हैं
कुछ भी कह लो पर याद तुम्हारी तो आएगी
उस चाँद को मैं देख लूंगी मेरी मुस्कुराहट लौटाएगी
कहते हैं दिल बहुत बड़ा होता है
पर मेरा इतना नहीं
इसमें बस एक कमरा तुम्हारे नाम का पड़ा है ।
मुझे नहीं था पर हाँ ,
पर हाँ अब हुआ है शायद ,
तुम्हें तब तो था पर अब नहीं है शायद ,
एक दोस्त चला जाएगा ,
जिससे बात करने को दिल तरसता था ,
वो साथी छूट जाएगा जिससे मिलने को दिल मचलता था।
ये तो मुमकिन नहीं कि याद ना आए,
बस जब आएगी चाँद से काम चलाएँगे ।